About Lala Lajpat Rai in Hindi – Freedom Fighters of India

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About Lala Lajpat Rai in Hindi – Freedom Fighters of India

About Lala Lajpat Rai in Hindi

About Lala Lajpat Rai in Hindi - Birth, Struggle, Contribution, Death etc
About Lala Lajpat Rai in Hindi – Birth, Struggle, Contribution, Death etc by Learners Inside.

परिचय

स्वाधीनता संघर्ष के नायक और महान क्रांतिकारी लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1965 को पंजाब के धुडिके में हुआ था।

पंजाब केसरी के नाम से लोकप्रिय लाला जी लाल-बाल-पाल की मशहूर तिकडी के स्तंभ थे जिसने आजादी की लडाई के राजनैतिक स्वरूप में एक बदलाव ला दिया। इस तिगड़ी में लाला जी के साथ बाल गंगाधर तिलक और विपिन चंद्रपाल शामिल थे।

1886 में वे हिसार चले गए पर वकालत करने लगे। उन्होंने पत्रकारिता शुरू की और दसट्रिब्यून जैसे कई अखबारों में लेख लिखें।

भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में शामिल

1914 में लाला जी ने वकालत छोड दी और भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में शामिल हो गए। लाला लाजपत राय ने न्यूयॉर्क में इंडियन होमरूल लीग की स्थापना की और मासिक पत्रिका ‘यंग इंडिया’ की शुरुआत की।

उन्होंने हिंदुस्तान इन्फॉर्मेशन कांग्रेस का भी प्रकाशन किया। इंडियन नेशनल कांग्रेस में शामिल होने और पंजाब में राजनीतिक आंदोलन में भाग लेने के कारण लाला लाजपत राय को 1907 में मुकदमा चलाए बिना ही वर्मा के मांडले निष्कासित कर दिया गया।

जब वाइसराय लॉर्ड मिंटो विध्वंसक गतिविधियों के लिए उनकी हिरासत और बढाने के लिए सबूत जुटाने में नाकाम रहे तो लाला जी उसी वर्ष भारत आ गए।

उन्होंने लाहौर में ब्राद्लौघ हॉल में नेशनल कॉलेज की स्थापना कि और विद्यार्थी के रूप में भगत सिंह का नामांकन किया।

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इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष

1920 में लाला लाजपत राय, इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। असहयोग आंदोलन में भाग लेने के कारण वे 1921 से 1923 तक जेल में रहे।

रिहाई के बाद वे विधानसभा के लिए चुने गए। 1928 में ब्रिटिश सरकार ने भारत में संवैधानिक सुधारों पर चर्चा के लिए साइमन कमीशन का गठन किया।

जब 20 अक्टूबर 1928 को कमीशन लाहौर आया तो लाला लाजपत राय ने अहिंसक विरोध शुरू कर दिया क्योंकि आयोग का कोई भी सदस्य भारतीय नहीं था।

पुलिस सुपरिटेंडेंट जेम्स एस्कॉर्ट ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज का आदेश दिया और व्यक्तिगत रूप से लाला जी पर प्रहार किया। लाला जी के सर में गंभीर चोट आई।

अडिग रहते हुए लाला जी ने कहा, “मैं घोषित करता हूँ कि आज मुझ पर पडी लाठी भारत में ब्रिटिश शासन के ताबूत में अंतिम कील साबित होगी।”

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निधन

उनकी चोट ठीक नहीं हुई और हृदय गति रुकने के कारण 17 नवंबर 1928  को उनका निधन हो गया।

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