Pandit Madan Mohan Malaviya (Mahamana) – Freedom Fighters of India
संचिप्त परिचय
प्रसिद्ध भारतीय शिक्षाविद और स्वतंत्रता सेनानी महामना – पंडित मदन मोहन मालवीय का जन्म 25 दिसंबर 1861 को इलाहाबाद में हुआ था। उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय में पढाई की।
फिर वे एक स्कूल शिक्षक और बाद में वकील तथा एक अखबार के संपादक बने। वे हिंदू महासभा के संस्थापक भी माने जाते हैं।
योगदान
असहयोग आंदोलन में मालवीय एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे। मदन मोहन मालवीय 1928 में लाला लाजपत राय, जवाहरलाल नेहरू और कई अन्य लोगों के साथ साइमन कमीशन के विरोध में शामिल हुए जिससे अंग्रेजों ने भारत के भविष्य पर विचार करने के लिए स्थापित किया था।
जैसे ही इंग्लैंड में ब्रिटिश खरीदें, अभियान ने पैर पसारने शुरू किए। मदन मोहन मालवीय ने 30 मई 1932 को एक घोषणापत्र जारी किया जिसमें भारत में भारतीय खरीदें आंदोलन पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया गया था।
मालवीय 1931 में दूसरे गोलमेज सम्मेलन में एक प्रतिनिधि थे। सरोजनी नायडू की गिरफ्तारी के बाद में दिल्ली में कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होने के कुछ ही दिन बाद सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान मालवीय को 25 अप्रैल 1932 को दिल्ली में 450 अन्य कांग्रेस स्वयंसेवकों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया।
Pillars of Democracy: Meaning, Understanding, Countries Examples
अन्य बातें
स्वतंत्रता से पहले मालवीय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की एकमात्र ऐसे नेता थे, जिन्हें चार कार्यकाल के लिए इसके अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था।
मालवीय ने हमेशा हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रयास किए। सांप्रदायिक सद्भाव पर उनके दो भाषण काफी प्रसिद्ध है। उन्होंने पहला 1922 में लाहौर में और दूसरा 1931 में कानपुर में दिया था।
1933 में कांग्रेस के कलकत्ता सत्र में अपने अध्यक्षीय भाषण में मदन मोहन मालवीय ने कहा था –
“मैं सभी हिंदुओं, मुसलमानों, सिखों, ईसाइयों, पारसियों और अन्य देशवासियों से प्रार्थना करता हूँ कि वे सभी सांप्रदायिक मतभेदों को भुला दें और सभी वर्गों के लोगों के बीच राजनीतिक एकता स्थापित करें।“
शिक्षा और समाजसेवा के अपने संकल्प को पूरा करने के लिए उन्होंने 1911 में अपनी जमी जमाई वकालत छोड दी। जीवन भर संन्यास की परंपरा को निभाने के लिए उन्होंने समाज सेवा के लिए जीवन समर्पित करने की घोषित प्रतिबद्धता का पालन किया।
लेकिन जब चौरी चौरा मामले में 177 स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी की सजा सुनाई गई तो मदन मोहन मालवीय ने मालवीय ने अपनी प्रतिज्ञा के बावजूद उनका मुकदमा लडा और 156 स्वतंत्रता सेनानियों को बरी कराया।
देश के शैक्षिक मानकों के उत्थान में गहरी दिलचस्पी रखने वाले मालवीय 1916 में ‘बनारस हिंदू विश्वविद्यालय’ के प्रमुख संस्थापक थे।
जनता के प्रति मदन मोहन मालवीय की चेतना ने उन्हें हिंदी भाषा के साप्ताहिक अभ्युदय – ‘द लीडर ऑफ अलाहाबाद’ (The Leader of Allahabad), अंग्रेजी भाषा के एक दैनिक और हिंदी मासिक मर्यादा के प्रकाशन के लिए प्रेरित किया।
मदन मोहन मालवीय को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ 2014 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
Bipin Chandra Pal – Vande Mataram Magazine Freedom Fighters of India
Rocks ! Types of Rocks: Igneous, Sedimentary, Metamorphic
निधन
मदन मोहन मालवीय का निधन 12 नवंबर1946 को हुआ था।
प्रकृति के सिद्धांत और धर्म एवं परंपराएं (Principles of Nature & Religions)
You can mail or comment on your precious feedback. and Allow notifications for instant updates.
जय हिंद जय भारत ..!
Find Class 10 MCQs Practice for the Board Examination