Today : Ram Prasad Bismil’s 123rd Birth Anniversary, A Revolutionary Leader..!!

1203

आज हमारे देश के क्रांतिकारी नेता, राम प्रसाद बिस्मिल (Ram Prasad Bismil) की 123 वीं जयंती, एक क्रांतिकारी नेता है।

Today is Ram Prasad Bismil’s 123rd Birth Anniversary, A Revolutionary Leader..!

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,  देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है!
वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आस्माँ!  हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है..!!

यह पंक्तियां महान क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल (Ram Prasad Bismil) की है। जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत की नींव हिला दी थी और देश की आजादी के लिए हंसते-हंसते अपने प्राणों की आहुति दे दी। राम प्रसाद बिस्मिल भारत के केवल स्वतंत्रता सेनानियों ही नहीं बल्कि उच्च कोट क़े शायर, अनुबादक, बहुभाषाभाषी इतिहासकार और साहित्यकार भी थे।

राम प्रसाद बिस्मिल का जन्म 11 जून 1897 को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर शहर में हुआ था। पिता का नाम पंडित मुरलीधर और माता का नाम श्रीमती मूलमती था। बिस्मिल उनका उर्दू नाम था, जिसका हिंदी अर्थ होता है आत्मिक रूप से आहात। राम प्रसाद बिस्मिल भी पराधीनता (Dependence) से आहात थे। और आजादी के आंदोलन में उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। लेकिन स्वतंत्रता आंदोलन को चलाने के लिए धन की जरूरत थी। इसीलिए क्रांतिकारियों ने सरकारी खजाने को लूटने के लिए एक योजना बनाई।

  1. 9 अगस्त 1925 को शाजापुर से लखनऊ जा रही ट्रेन में ब्रिटिश सरकार का खजाना जा रहा था और इसे काकोरी गांव में लूट लिया गया। और अंग्रेजों को क्रांतिकारियों का यह कदम एक हमलें के रुप में लगा।

और इस योजना में शामिल राम प्रसाद बिस्मिल को ब्रिटिश सरकार ने बेरहम बिरहा 19 दिसंबर 1927 को गोरखपुर जेल में षड्यंत्र रच कर उनको फांसी पर लटका दिया गया। लेकिन राम प्रसाद बिस्मिल के जज्बे ने पूरे देश को अंदर से झकझोर कर रख दिया। और भारतवासियों के मन में जो इन्होंने लौ जलाई थी वह चिंगारी का रूप लेने लगी।

अभी तो उन्होंने एक जगह लिखा था – 

पलट देते हैं हम मौजे-हवादिस अपनी जुर्रत से:

कि हमने आंधियों में भी चिराग अक्सर जलाई है..!!

 

उन्होंने कहा था

असीराने-क़फ़स से काश, यह सैयाद कह देता,
रहो आज़ाद होकर, हम तुम्हें आज़ाद करते हैं।

“कौन जाने ये तमन्ना इश्क की मंजिल में है। जो तमन्ना दिल से निकली फिर जो देखा दिल में है।।”

राम प्रसाद बिस्मिल 19 वर्ष की उम्र में क्रांति की मशाल हाथ में थाम ली और देश को स्वतंत्र कराने का बीड़ा उठाया था। और अपनी आखरी सांस तक इन्होंने अपने देश की आजादी के लिए अभूतपूर्व प्रयास किए।

इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे। और हमरे स्वतंत्रता सैनानियों को नमन करें।

Click Here :-प्रकृति के सिद्धांत और धर्म एवं परंपराएं (Principles of Nature and Religions and Traditions

Click Here :- Major Information of Important Rivers of India!

Click Here :- Difference Between Himalayan Rivers and The Peninsular Rivers System

Click Here :- Major Information of Northern Plains of India ! Point by Point

धन्यवाद !

जय हिन्द जय भारत !!