कमलापति त्रिपाठी (Kamla Pati Tripathi) – Freedom Fighters of India
संक्षिप्त परिचय
इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे प्रसिद्ध स्वाधीनता सेनानी और जाने माने गांधीवादी नेता कमलापति त्रिपाठी के बारे में।इनका जन्म 03 सितंबर 1905 को हुआ था।
कमलापति त्रिपाठी ने हिंदी समाचारपत्र – आज में पत्रकार के रूप में करियर की शुरुआत की और बाद में अपना अखबार संसार निकाला। वे दो टेब्लॉयड अखबारों के भी संपादक रहे।
योगदान
उन्होंने आज के उत्तर प्रदेश और तत्कालीन संयुक्त प्रांत में 1920 में असहयोग आंदोलन 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन और 1942 में भारत छोडो आंदोलन में हिस्सा लिया जिसके लिए उन्हें कई बार जेल भी जाना पडा।
उत्तर प्रदेश के वाराणसी के उन प्रतिष्ठित, समर्पित और प्रज्ञान स्वतंत्रता सेनानियों में थे, जिन्होंने गांधी विचार से प्रेरित और अनुप्राणित होकर साम्राज्यवाद के खिलाफ संघर्ष किया था।
Kanailal Dutta – Freedom Fighters of India
प्रसिद्ध भाषण
कमलापति त्रिपाठी को संयुक्त प्रांत से संविधान सभा के लिए चुना गया और उन्होंने भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे इंडिया – डेट इस भारत (India – That is Bharat) को संशोधित करने को लेकर दिए अपने भाषण के लिए बहुत प्रसिद्ध हुए। उनका कहना था कि अच्छा होता यदि संविधान सभा देश की प्रतिष्ठा और परंपरा के अनुरूप इस वाक्य को संशोधित करती।
स्वतंत्रता के बाद – कमलापति त्रिपाठी
स्वतंत्रता के बाद कमलापति त्रिपाठी ने राज्य सरकार में विभिन्न पदों पर कार्य किया। वे 1969 में उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और 1971 में मुख्यमंत्री बने। उनका कार्यकाल दो साल तक ही चला। उसके बाद वह दो बार रेल मंत्री भी रहे।
त्रिपाठी बेहद विनम्र, प्रतिष्ठित और सिद्धांतवादी राजनेता थे। पत्रकारिता और हिंदी के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध और समर्पित, वे पत्रकारिता को स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर पाठ्यक्रम में शामिल करने के पक्षधर थे।
Madam Bhikaji Cama in Hindi – Freedom Fighters of India
गांधी जी के प्रति प्रेम
1945 में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में पत्रकारिता और जनसंचार विभाग की स्थापना उन्होंने ही की थी। वे 1947 से 1948 तक हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष भी रहे। बापू और भारत, बापू और मानवता तथा फ्रीडम मुमेंट एंड आफ्टरवर्ल्ड (Freedom Movement and Afterward) सहित कमलापति के महत्वपूर्ण कार्य इस बात का प्रमाण है कि उन्हें गांधी जी से कितना अधिक प्रेम था।
पंडित कमलापति सभी के लिए प्रेरणास्रोत और मार्ग दर्शक थे। पारंपरिक प्रतिबद्धताओं को अक्षुण्ण रखते हुए आधुनिक युग की तेजी से बदलती स्थितियों के साथ जुडे रहने की उनकी अनूठी खूबी बहुत प्रसिद्ध है।
उनका व्यक्तित्व, धार्मिक विश्वासों और धर्मनिरपेक्षता का संतुलन और संगम था भी जन-नेता थे और जाति या धर्म पर विचार किए बिना सबके साथ समान व्यवहार करने पर विश्वास रखते थे। सच्चे राष्ट्रवादी, सिद्धांतवादी नेता, विकासपुरूष और जनोन्मुखी राजनेता के रूप में उन्हें सदैव याद किया जाएगा।
Netaji Subhash Chandra Bose in Hindi – Freedom Fighters of India
मृत्यु
कमलापति त्रिपाठी का स्वर्गवास 8 अक्टूबर 1990 को वाराणसी में हुआ।
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जय हिंद जय भारत…!