Tanguturi Prakasam in Hindi – Freedom Fighters of India
इस लेख के माध्यम से हम जनेंगे स्वतंत्रता सेनानी तंगुटूरी प्रकाशम (Tanguturi Prakasam) के बारे मे। जो आंध्र केसरी के नाम से भी लोकप्रिय हैं।
तंगुटूरी प्रकाशम – संक्षिप्त परिचय
प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी तंगुटूरी प्रकाशम का जन्म 23 अगस्त 1872 में आंध्र प्रदेश की प्रकाशम जिले में हुआ था। प्रकाशम जिले का नाम उनके नाम पर ही रखा गया। वे अंग्रेजों के खिलाफ अपने साहस और वीरता के लिए जाने जाते हैं।
तंगुटूरी प्रकासम ने मद्रास लॉ कॉलेज से विधि की स्नातक उपाधि हासिल की। चौदह साल तक वकालत करने के बाद वह इंग्लैंड गए और मद्रास उच्च न्यायालय में वकील के रूप में अहर्ता प्राप्त करने के लिए बैरिस्टर का कोर्स पूरा किया।
तंगुटूरी प्रकासम – भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
1928 की एक ऐतिहासिक घटना में साइमन कमीशन की तत्कालीन मद्रास यात्रा के दौरान वे पुलिस के सामने सीना तानकर खडे हो गए हो पूरा कर रखा है।
साइमन कमीशन के दौरान ब्रिटिश पुलिस के समक्ष प्रदर्शित वीरता के अलावा प्रकाशम 1922 में असहयोग आंदोलन में सक्रिय भागीदारी के लिए भी जाने जाते हैं। उन्होंने गुंटूर में 30,000 कांग्रेस स्वयंसेवकों के साथ प्रदर्शन किया।
1942 में कांग्रेस की बॉम्बे अधिवेशन के दौरान महात्मा गांधी ने अंग्रेजों भारत छोडो का उद्घोष किया। इस आंदोलन में प्रकाशन ने सक्रिय रूप से हिस्सा लिया। उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और तीन साल से अधिक समय तक जेल में रखा गया।
स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान प्रकाशम् ने स्वराज पत्रिका शुरू की और देशभर में राष्ट्रवादी भावनाओं को फैलाया। तंगुटूरी प्रकासम ने मद्रास लॉ कॉलेज से विधि की स्नातक उपाधि हासिल की। चौदह साल तक वकालत करने के बाद वह इंग्लैंड गए और मद्रास उच्च न्यायालय में वकील के रूप में अहर्ता प्राप्त करने के लिए बैरिस्टर का कोर्स पूरा किया।
Sahodaran Ayyappan – A social reformer of Kerala Freedom Fighters of India
तंगुटूरी प्रकाशम – गांधी जी
लंदन जाने वाले जहाज पर पहली बार उनकी मुलाकात गांधी जी से हुई। वे स्वतंत्रता संग्राम के प्रति गांधीजी के दृष्टिकोण से प्रभावित हुए। उन्होंने आजादी से पहले चार बार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में काम किया। उन्होंने तत्कालीन मद्रास और आंध्र राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में भी काम किया।
उनकी प्रशासनिक क्षमता राज्य के कई क्षेत्रों में उनके महत्वपूर्ण निर्णयों में परिलक्षित होती है। मद्रास प्रांत के लिए उनके द्वारा तैयार की गई जमींदारी उन्मूलन रिपोर्ट देश से जमींदारी प्रथा को समाप्त करने के भारत सरकार के प्रयासों का अग्रदूत बन गई।
Satyamurthy and P. Krishna Pillai in Hindi – Freedom Fighters of India
मृत्यु
20 मई 1957 को तंगुटूरी प्रकासम ने अंतिम सांस ली और देश ने अपने महानतम सपूतों और स्वतंत्रता सेनानियों में से एक को खो दिया। देश की आजादी के लिए संघर्ष करने वाले ऐसे महापुरूषों का हम लोग सदैव आभारी रहेंगे।
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जय हिंद जय भारत…!