ईश्वर को समझने का अवसर – What is God – Where is God?

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मुझे लगता है कि इस कोरोना वायरस (Corona Virus) के दौर ने ‘ईश्वर के स्वरुप’ (Nature of God) अथवा ‘ईश्वर को समझने का अवसर’ (Opportunity to Understand God) दिया है। Understand, What is God – Where is God?

ईश्वर को समझने का अवसर (Opportunity to Understand God) – What is God – Where is God?

कोरोना वायरस और जीवन

यह बहुत अच्छी बात है कि अब कोरोनावायरस से बंद हिंदुस्तान अब खुल (Unlock) रहा है। और जिस तरीके से चीजें धीरे-धीरे खोली जा रही है और हमारे दिमाग की जकड़न भी धीरे धीरे धीली होती जा रही है।

यह दौर आया, रहा और हमने इसे जीया और हमारी जिंदगी का एक अनोखा हिस्सा रहा है। शायद ही इतिहास की पीढ़ी ने अब तक ऐसा अनुभव नहीं किया होगा, जिसे आज आप और हम लोग अनुभव कर रहे हैं।

तो क्या हमें यह अभूतपूर्व या अनोखा समय, जो हमारी जिंदगी में शामिल हो गया है, क्या हमें यूं ही जाना चाहिए या फिर इस समय के टुकड़े को लेकर इसी प्रयोगशाला बनाकर इस पर अध्ययन करना चाहिए, जिंदगी के बारे में नए तत्वो अथवा – नए विचार खोजने चाहिए?

दोस्तों मुझे ऐसा लगता है कि हमें इस समय का सही रूप से विश्लेषण करना चाहिए और हर चीज को कार्यकारणसंबंध के नजरिए से देखना चाहिए।

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इस बीच जो हमने इस जीवन को जीया है,

    • जिन – जिन आदतों को हमने छोड़ा है,
    • हमारी नई सोच और नई आदतों का विकास हुआ है,
    • चाहे जो संबंधों का नया आयाम विकसित हुआ हो,
    • समय के साथ जो हमारा तालमेल रहा हो,
    • चाहें ये दिमागी परेशानियां – उल्लास से गुजरे हैं,

यह सारी चीजें हमने गंभीर रूप से, इस वक्त अनुभव किया है और अनुभव ही नहीं, हमने इसे जिया है और यही समय हमें जिंदगी में नए-नए आयामों अथवा चीजों पर विचार करने पर मजबूर करता रहेगा।

दोस्तों मुझे लगता है कि इस समय, जो हमको सबसे ज्यादा विचार करना चाहिए अथवा इस समय (कोरोना वायरस के समय) को एक लैब मानते हुए प्रयोग करना चाहिए – वह है धर्म के ऊपर

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हमको धर्म के बारे में समझना चाहिए यह वास्तव में क्या चीज है और धर्म को समझने के लिए अभी जो हमारे पास अवसर है वह शायद ही कभी हमारे पास हो! और ईश्वर ना करें कि आगे कभी आए।

अगर हम आज के दौर को देखें तो हिंदुस्तान ही नहीं पूरी दुनिया में कोरोना वायरस ने अपनी तानाशाही स्थापित कर रखी है। आज पूरा हिंदुस्तान से लेकर सारे धार्मिक स्थल तक बंद है। और यहां तक कि अखबारों में यह खबर तक आई कि कुछ धार्मिक स्थलों ने अपने ईश्वर को भी कुछ समय के लिए क्वॉरेंटाइन कर दिया है – मतलब ईश्वर को भी क्वॉरेंटाइन! चाहे वह किसी भी धर्म के हो आज सारे धार्मिक स्थल तक बंद है।

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धार्मिक स्थल

अगर कुछ स्थान खुल भी रहे हैं तो उन्हें सरकार के नियमों का पालन करना पड़ रहा है। जैसे –

    • एक दूसरे से दूरी बनाए रखनी है।
    • समय-समय पर सेनेटाइज करना होगा।
    • भीड़ से बचा कर रखना है।
    • कुछ प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में भक्तों की संख्या सीमित कर दी गई है।
    • और यहां तक कि मूर्ति तथा धार्मिक ग्रंथों को स्पेर्श करने का अधिकार नहीं होगा।

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दोस्तो मन मै एक विचार आता है कि ईश्वर जो अपने आप में इतना सर्वशक्तिशाली है, जिसने पूरे ब्रह्मांड और हम जैसे जीवो का रचना की है क्या उसमें इतनी शक्ति नहीं है कि वह कोरोनावायरस को नियंत्रित कर सके या कम से कम अपनी ही धार्मिक स्थलों को इससे सुरक्षित कर सकें। क्या यज्ञ अथवा अनुष्ठान या अलग-अलग धर्मो की जो पद्धतियां है उ के माध्यम से इसे रोका नहीं जा सकता था या है?

दोस्तो यह सब बातें हमें ‘ईश्वर के वास्तविक स्वरुप’ से परिचित कराती है। दोस्तों हमें यह समझना होगा जिसे हम ईश्वर/अल्लाह/God या किसी भी नाम से हम पुकारते हैं उनका वास्तविक स्वरुप आखिर है क्या? वह हमारे सामने किस रूप में है जो हमारी शक्ति का कारण बन सके।

दोस्तों यह सर्व शक्तिशाली हमारी अपणी आस्था, हमारा आत्मविश्वास, हमारा अपना भरोसा है। जैसे कि इस कोरोनावायरस के दौर में हमसे कहां गया कि हम अपने प्रतिरक्षा शक्ति (Immune power) को मजबूत बनाए रखें। हालांकि प्रतिरक्षा शक्ति (Immune power) को मजबूत के लिए भौतिक रूप में काफी तरीके हैं जैसे – दवाइयां, व्यायाम, योगा आदि। इसका जो महत्वपूर्ण पक्ष था कि अगर हम डरेंगे तो हमारा प्रतिरक्षा शक्ति (Immune power) कम हो जाएगी।

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अगर हम ईश्वर पर विश्वास रखते हैं तो जो हमारा डर है वह काफी हद तक कम हो जाता है। यानी कि जो हमारी प्रतिरक्षा शक्ति (Immune power) है, वह मजबूत हो जाती है और जिससे बीमारी का खतरा भी कम हो जाता है। और अगर यह मेरी आस्था, मेरी ताकत बनकर मेरे Immune Power को पढ़ा रही है, तो मेरे लिए ईश्वर का इससे बड़ा सबूत क्या हो सकता है..!

जिससे पूरी दुनिया भयभीत है वह हमे इतना नहीं डरा पा रहा है क्योंकि हमने ईश्वर का आश्रय ले रखा है। और इसके साथ ही हमें सरकार अथवा चिकित्सा विज्ञान (Medical Science) के निर्देशों का पालन भी करना पड़ रहा है। और अब तक हम जो जीवित है वह इन दोनों के प्रयासों से ही हैं – चिकित्सा विज्ञान या सरकार और ईश्वर (जो कि अपने आप में एक विज्ञान है…!)।

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ईश्वर – आत्मा एवं विज्ञान

ईश्वर भी हमें यहां विज्ञान के रूप में दिखाई देता है, चाहे वह मन का विज्ञान हो, या आत्मा का विज्ञान।

हम सभी लोग अपनी – अपनी स्थितियां और अनुभवो (In Lockdown) के हिसाब से ईश्वर की स्वरूप (Nature of god) के विषय में जरूर विचार चाहिए।

दोस्तो उमीद है कि आपको लेख पसंद आया होगा। हमें आपके सवाल और सुझावों का हमेशा से इंतजार रहता है, अगर आपके कोई सवाल और सुझाव है, तो कृपया हमें सूचित करें।

जय हिंद जय भारत..!!

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