India’s New Education Policy 2020 {Hindi} – Details and Analysis, pdf

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‘किसी भी देश का चरित्र उसकी शिक्षा नीति में निहित होता है। और शिक्षा ही वह हथियार है जिसके जरिए जीवन की हर जंग जीती जा सकती है। आज हम बात करेंगे भारत की नई शिक्षा नीति 2020 (New Education Policy 2020) के बारे में।’ 

इसमें कोई दो राय नहीं कि अगर यह नई शिक्षा नीति (New Education Policy) जमीनी स्तर पर अच्छे से लागू होती है तो यह क्रांतिकारी बदलाव होगा। 

इस पोस्ट के अंत में, मैंने अपनी तरफ से एक भारतीय नागरिक होने के नाते सरकार को कुछ सुझाव देना चाहता हूं।

भारत की नई शिक्षा नीति 2020, चुनौतियां एवं सुझाव (India’s New Education Policy 2020 – Details and Analysis)

शिक्षा नीति का संक्षिप्त इतिहास..!

आज़ादी के बाद हमारी सबसे पहली शिक्षा नीति सन 1968 में आई थी

सन 1964 में इसके लिए एक कोठारी आयोग बनाया गया था जिसने 1966 में अपनी रिपोर्ट पेश की थी। और इस रिपोर्ट के आधार पर 1968 में पहली भारतीय शिक्षा नीति आई थी।

इसका मुख्य बिंदु सभी नागरिकों को शिक्षा उपलब्ध कराना था। यानी कि भारत में कोई भी व्यक्ति अशिक्षित ना रहे। 

इसके बाद हमारी शिक्षा नीति पर चर्चा होनी शुरू हो गई थी। राजीव गांधी जी के समय सन 1986 में फिर से एक नई शिक्षा नीति लागू की गई, जिसे हम “द्वितीय शिक्षा नीति” कह सकते हैं। 

“द्वितीय शिक्षा नीति” का केंद्र ‘आधुनिकरण’ था क्योंकि उस समय पूरी दुनिया में कंप्यूटर का इस्तेमाल शुरू होने लगा था।

इसका श्रेय अधिकतर राजीव गांधी जी को जाता है क्योंकि उन्होंने उस दौरान उन्होंने साइंस एंड टेक्नोलॉजी की उपयोगिता और इसके विकास के स्तर को भाप लिया था और शिक्षा के माध्यम से वह इसका विकास करना चाहते थे।

इसीलिए शिक्षा नीति 1986 का मुख्य बिंदु ‘आधुनिकरण (Modernization)’ रहा था। 

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आज हमारे पास, 21वी सदी की पहली शिक्षा नीति यानी कि इस सीरिज़ की तीसरी शिक्षा नीति नई शिक्षा नीति 2020 (New Education Policy 2020) उपलब्ध है। 

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (National New Educational Policy 2020)

India's New Education Policy 2020 {Hindi} - Challenges and Suggestions
India’s New Education Policy 2020 {Hindi} – Challenges and Suggestions by Learners Inside

नई शिक्षा नीति 2020 (New Education Policy 2020) के क्रांतिकारी बिंदु अगर वह समय के हिसाब से सही तरीके से और सही ढांचे के रूप में लागू हुए तो यह देश में बहुत बड़ा क्रांतिकारी बदलाव लाने की ताकत रखते हैं।

पढ़ने की आज़ादी :- 

अब तक हमारी शिक्षा पद्धति में यह कोशिश की जाती थी कि दसवीं के बाद विद्यार्थी को तीन स्ट्रीम का विकल्प था – Science, Arts and Commerce। 

जैसे:- 

    • यदि कोई विद्यार्थी विज्ञान के साथ इतिहास  पढ़ना चाहता है तो कर  सकता है।
    • अगर कोई विद्यार्थी केमिस्ट्री के साथ – साथ भूगोल की अध्ययन करना चाहता है, तो कर सकता है।
    • जैसे अगर आपको फ़िज़िक्स के साथ इतिहास पढ़ना है तो आप पढ़ लीजिए।
    • अगर आपको अकाउंट के साथ बॉयोलॉजी पढ़नी है तो पढ़ लीजिए।

यानी कि अब आपके पास विषयों को अपने हिसाब से चुनने की आज़ादी होगी।

यानी कि अब विद्यार्थी को दसवीं कक्षा के बाद पूर्ण रूप से अपनी रुचि के हिसाब से विषयों को चुनने की आज़ादी होगी। और वे अपने हिसाब से आगे के सफर को रूपरेखा दे सकेगा।

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शैक्षणिक संरचना में परिवर्तन (Changes in Educational Pattern “5+3+3+4”) :-

पहले हमारे यहां पर सिस्टम चलता था “10+2”।  लेकिन अब यह बदल कर इसे कर दिया गया है “5+3+3+4”। पहले 6 वर्ष की आयु से शिक्षा की शुरुआत होती थी लेकिन अब 3 वर्ष की आयु से ही इसकी शुरुआत हो जाएगी। 

फाउंडेशनल स्टेज (Foundational Stage):-

    • Multi-level – Play/Activity – Based Learning
    • Start from Age 3 to 6 – Pre School 
    • Age 7 & 8 – Class 1 and 2

प्रारंभिक चरण (Preparatory Stage):-

    • Class 3rd to 5th
    • Play/Discovery & Activity Based and Interactive Classroom Learning

Middle Stage:-

    • Class 6th to 8th
    • Experiential Learning in Science, Mathematics, Arts Social Studies, and Humanities.

Secondary Stage:-

    • Class 9th to 12th
    • Multidisciplinary study, Greater critical thinking, Flexibility and Students Choice of Subjects. 

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शिक्षा पर खर्च :-

अब यह आश्वासन दिया जा रहा है कि शिक्षा पर खर्च बढ़ाया जाएगा। अभी हमारा जीडीपी पर 4.4% शिक्षा पर खर्च होता है। उसे बढ़ाकर 6% किया जाएगा। 

अंतर्राष्ट्रीय पद्धति :-

नई शिक्षा नीति के माध्यम से यह कोशिश की गई है कि भारतीय शिक्षा को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाया जाएगा। 

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ग्रेजुएशन का महत्व (Multiple Entry – Exit Program) :-

पहले ऐसा होता था कि  यदि आपने किसी कारण वश अपनी ग्रेजुएशन पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए  जो आपको डिग्री से बंद कर दिया जाता था। यानी कि आपने अगर 1 साल या 2 साल  ग्रेजुएशन किया है तो वह आपका बेकार हो जाता था। 

लेकिन अब इसमें भी क्रांतिकारी बदलाव किया गया है। जैसे कि अगर आप अपनी स्टडी ग्रेजुएशन के बीच में छोड़ते हैं तो आपको उसके बदले में सर्टिफिकेट डिप्लोमा डिग्री कुछ ना कुछ मान्यता दी जाएगी। जैसे :-

    • प्रथम वर्ष पूरा होने के बाद –  सर्टिफ़िकेट (Certificate)
    • द्वितीय वर्ष पूरा होने के बाद –  डिप्लोमा (Diploma)
    • तृतीय वर्ष पूरा होने के बाद –  डिग्री (Degree)
    • चौथा वर्ष पूरा होने के बाद –  बैचलर रिसर्च डिग्री (Bachelor Research Degree)।

यानी कि अगर आप इंटरव्यू में कहते हैं कि मेरे पास B.A. का सर्टिफ़िकेट (Certificate) है और मैंने केमिस्ट्री (Chemistry) में डिप्लोमा किया है तो इंटरव्यू लेने वाला अपने आप समझ जाएगा कि आप नहीं B.A. केवल 1 वर्ष की हुई है और केमिस्ट्री में ग्रेजुएशन आपने 2 वर्ष किया है। 

तो आप समझ सकते हैं कि यह कदम कितना क्रांतिकारी साबित होगा। आप समझ सकते हैं कि इसको कितना प्रैक्टिकल बनाने की कोशिश की गई है। 

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कुछ अन्य और क्रांतिकारी और संवाद संरचनात्मक बदलाव

भारतीय नई शिक्षा नीति के अंतर्गत विद्यार्थी चेतना के स्तर पर काम करने के लिए काफी महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं।  जैसे:- 

    • नई शिक्षा नीति का महत्व आप इसी से लगा सकते हैं मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय किया जाएगा।
    • भारतीय नई शिक्षा नीति के अंतर्गत भारत सरकार जीडीपी का लगभग 6% खर्च करेगी।
    • कक्षा 6 से ही विद्यार्थियों को वोकेशनल ट्रेनिंग (Interenship) उपलब्ध कराई जाएगी। यानी कि विद्यार्थी हर वक्त अपना बैग लेकर स्कूल नहीं आएंगे और उन्हें प्रैक्टिकल ज्ञान दिया जाएगा। 
    • कक्षा 6 से ही कोडिंग सिखाई जाएगी।
    • बोर्ड के महत्व को कम किया जाएगा तथा इन्हें कुछ हद तक आसान बनाया जाएगा। 
    • विद्यार्थियों को उसका परीक्षण अथवा अपने सहपाठियों का परीक्षण करने का भी मौका दिया जाएगा। (यह रचनात्मक कदम है क्योंकि अपने आप को सही तरीके से परीक्षण करना आसान नहीं है।)
    • मल्टीपल एंट्री एग्जिट प्रोग्राम (Multiple Entry Exit Programme)।

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नई शिक्षा नीति 2020 एवं चुनौतियों (New Education Policy 2020 and Challanges):-

हमअगर  व्यवहारिक दृष्टि से देखें तो भारत 130 करोड़ से ज्यादा जनसंख्या वाला और विश्व में जनसंख्या की दृष्टि से दूसरा सबसे बड़ा  देश है।

अगर हम आज की व्यवस्था की बात करें तो सरकारी स्कूलों की हालत और उनकी आधारभूत संरचना तो आप अच्छे से  जानते ही हैं।

हम अगर प्राइवेट स्कूलों की बात करें जिसमें अभिभावकों को काफी अच्छी खासी फीस देनी होती है,  उसमें  समझाने से सबसे ज्यादा तत्व तथा रटाने पर सबसे ज्यादा ध्यान होता है। और इस चेतना में बदलाव सरकार और समाज के लिए काफी बड़ी चुनौती होगी। 

सरकार के लिए कानून बनाना चुनौती की बात नहीं है लेकिन उससे जुड़े  नियमों का पालन कराना सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी।

शिक्षक एवं आधारिक संरचना (Infrastructure) की कमी।

हमें यह भी देखना होगा कि सरकार किस तरीके से इन प्रावधानों के माध्यम से सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर अच्छा रखती है।

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New National Education Policy 2020 of India..!

कुछ महत्वपूर्ण सुझाव (Some Important Suggestions)

शिक्षा के संबंध में सरकार कितनी गंभीर है यह अंदाजा तो इसी बात से लगाया जा सकता है कि सरकार ने ‘मानव संसाधन विकास मंत्रालय’ का नाम बदलकर ‘शिक्षा मंत्रालय’ कर दिया जाएगा।

यहां मैं अपनी तरफ से (भारतीय नागरिक की तरफ से) सरकार को कुछ सुझाव देना चाहता हूं। 

    • जिस तरह से हर बुधवार को मंत्रिमंडल की बैठक होती है और उसमें देश के महत्वपूर्ण मुद्दों के ऊपर चर्चा होती है। उसी  तरह से शिक्षा को भी प्राथमिकता देकर सप्ताह में कम से कम एक दिन  इस व्यवस्था की समीक्षा होनी चाहिए।
    • नई शिक्षा नीति 2020 (New Education Policy 2020) को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए इसकी छह माही समीक्षा रिपोर्ट (Review Report) (यानी कि साल में दो बार) सार्वजनिक की जानी चाहिए। ताकि सरकार इस पर काम करते हुए जनता के प्रति उत्तर दायित्व निभाए और  देश को पता चल सके इस नीति से क्या-क्या बदलाव हो रहे हैं।
    • शिक्षकों तथा शिक्षा की गुणवत्ता की पर ध्यान होनी चाहिए।
    • ऐसा देखा गया है कि सरकारी स्कूलों (Even Some Private Schools) में कक्षा 5 तक के विद्यार्थियों को अक्षर ज्ञान भी मुश्किल से होता है। तो मेरा सरकार से अनुरोध रहेगा कि जितना ध्यान IIT और IIM जैसे शिक्षा संस्थान पर दिया जाता है उससे कहीं ज्यादा ध्यान प्राइमरी स्कूलों को भी दिया जाना चाहिए।
    • अगर शिक्षा से संबंधित कोई अपराध या भ्रष्टाचार होता है तो उसेगंभीरता से लेना होगा।
    • परीक्षाओं को व्यापारिक बनाया जाए ना कि किताबों (रटने) के आधार पर। 
    • कक्षा 6 से ही विद्यार्थी को विद्यार्थियों को मनोविज्ञान के बारे में पढ़ाया जाना चाहिए।
    • अभिभावकों की भी प्रशिक्षण (Training/Counceling) की व्यवस्था की जानी चाहिए। यह हम डिजिटल माध्यम से बड़े आराम से सुनियोजित तरीके से कर सकते हैं। – और यह आपकी जरूरत भी है। इसका अलग से पोर्टल या टीवी पर चैनल भी बना सकते हैं। (With Minimum Subscription)

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E-Learning Platform:-

सरकार एक ऐसा डिजिटल (Digital) माध्यम उपलब्ध कराएं जिसमें 1 से 12 तक सभी विद्यार्थी कम खर्चे से शिक्षा की गुणवत्ता के साथ अध्ययन कर सकें। इस पर गंभीर रूप से ध्यान देते हुए इसको इतना मजबूत प्रतियोगी बनाया जाए जिससे निजी शिक्षण संस्थान (Private Educational Institutions) भी इसे बड़ा प्रतियोगी माने। –

यह उपाय भविष्य में सरकारी व्यय (Government Expenditure) को कम तथा उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा सुनिश्चित करने की ताकत रखता है।

इस उपाय से भारत के विद्यार्थी ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के विद्यार्थी भी भारत की ओर आकर्षित होंगे।

यह मेरे अपने कुछ नई शिक्षा नीति 2020 (New Education Policy 2020) महत्वपूर्ण सुझाव है अगर आपके मन में भी कोई सुझाव हो तो आप हमें Comment जरूर करें। 

इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शेयर करें क्योंकि उनको भी भारत की नई शिक्षा नीति 2020 (New Education Policy 2020) के बारे में मूलभूत जानकारी मिल सके।

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