Jhaverchand Meghani – Freedom Fighters of India
आज हम इस लेख के माध्यम से जानेंगे गुजरात के एक महान स्वतंत्रता सेनानी और समाजसुधार झावेरचंद मेघानी के बारे में।
झावेरचंद मेघानी – परिचय
झावेरचंद मेघानी का जन्म 28 अगस्त 1896 में गुजरात के सुरेंद्रनगर जिले के चोटीला कस्बे में हुआ था।अल्पायु से ही उनकी रूचि साहित्य में थी। उन्होंने अपनी पहली कविता केवल बारह वर्ष की आयु में लिखी थी। उन्होंने संस्कृत और अंग्रेजी दोनों साहित्य में डिग्री हासिल की।
इस ख्याति प्राप्त कवि और लेखक को सिंदूर पुस्तक लिखने के लिए दो साल जेल की सजा सुनाई गई थी। जिसमें ब्रिटिश राज के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले युवाओं को प्रेरित करने वाले गीत शामिल थे।
Story of Jhaverchand Meghani – Freedom Fighters of India
राष्ट्रीय कवि की उपाधि
इस दौरान उन्होंने गोलमेज सम्मेलन के लिए गांधीजी की लंदन यात्रा पर आधारित काव्यात्रि पुडी लिखी थी। महात्मा गांधी ने उन्हें राष्ट्रीय कवि की उपाधि से सम्मानित किया था।
सरदार वल्लभ भाई पटेल ने उनकी प्रशंसा करते हुए कहा था कि मेघानी का स्वर साहस से भरा हुआ था। उनकी प्रसिद्ध गीतों में से एक “मन मोर बनी ठनगट करे” मेरा मन एक मोर की तरह नाचता है। 2013 की हिंदी फिल्म गोलियों की रासलीला – रामलीला में इस्तेमाल किया गया है।
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लेखक
मेघानी ने एक सौ से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। उनकी पहली पुस्तक कुर्बानी ने कथा यानि शहादत की कहानियां शीर्षक से रविंद्रनाथ टैगोर की कोथा ओकाहीनी का अनुवाद थी जो पहली बार 1922 में प्रकाशित हुई।
वह जन्म भूमि समूह के फूलछाप समाचारपत्र के संपादक भी थे जो आज तक राजकोट से प्रकाशित किया जा रहा है।
मृत्यु
09 मार्च 1947 को मेघानी का स्वर्गवास हो गया।
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जय हिंद जय भारत…!