Bipin Chandra Pal – Vande Mataram Magazine Freedom Fighters of India

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Bipin Chandra Pal – Revolutionary Freedom Fighters of India

Bipin Chandra Pal - (Lal-Bal-Pal) - Revolutionary Freedom Fighters
Bipin Chandra Pal – (Lal-Bal-Pal) – Revolutionary Freedom Fighters by Learners Inside

संचिप्त परिचय

महानतम स्वतंत्रता सेनानियों में से एक बिपिनचंद्र पाल का जन्म 07 नवंबर 1858 को ब्रिटिश भारत के सिलहट क्षेत्र में हुआ था, जो अब बांग्लादेश में है।

भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन के शुरूआती नेता बिपिन चंद्रपाल, लाला लाजपत राय और बाल गंगाधर तिलक के साथ लाल-बाल-पाल की तिकडी में शामिल थे।

राजनैतिक उद्देश्य

ये तीनों नरमपंथियों द्वारा अपनाई जाने वाली याचिकाओं के तरीके पर सवाल उठाते थे और राजनैतिक उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए सीधी कार्रवाई के लिए तर्क देते थे। 1886 में बिपिन चंद्रपाल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भी शामिल हो गए। उन्होंने भेदभावपूर्ण शस्त्र अधिनियम को निरस्त करने के लिए मजबूत दलील दी।

वंदे मातरम पत्रिका

1905 के बंगाल विभाजन ने विपिन चंद्रपाल को गहराई से झकझोर दिया। उन्होंने 1906 में ‘वंदे मातरम पत्रिका’ की शुरुआत की जिसमें अरबिंदो घोष जल्द ही संपादक के रूप में शामिल हो गए।

विपिनचंद्र पाल को भारत में क्रांतिकारी विचारों के जनक के तौर पर याद किया जाता है। अरविंद घोष के साथ उन्होंने पूर्ण स्वराज, स्वदेशी अपनाने, विदेशी बहिष्कार और राष्ट्रीय शिक्षा के आदर्शों वाले एक नए राष्ट्रीय आंदोलन के मुख्य प्रतिपादक के रूप में पहचाना जाता है।

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अनुशीलन समिति

विपिनचंद्र पाल ने अनुशीलन समिति की स्थापना में भी मदद की, जिसने भारत में ब्रिटिश शासन को समाप्त करने में क्रांतिकारी हिंसा का समर्थन किया और साप्ताहिक कक्षाओं तथा बातचीत के माध्यम से युवाओं में राष्ट्रवाद की भावना की भावना पैदा की।

असहयोग के रूप से होने वाले विरोध में उनका विश्वास नहीं था और इसी मुद्दे पर उनका महात्मा गांधी से मतभेद था। 1920 में बाल उन वरिष्ठ नेताओं में से थे जिन्होंने असहयोग पर गांधीजी के प्रस्ताव का विरोध इस तथ्य पर किया था कि ये स्व सरकार को संबोधित नहीं करता।

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सामाजिक सुधार

विपिनचंद्र पाल ने, सामाजिक और आर्थिक बुराइयों को दूर करने के प्रयास किए। उन्होंने जाति प्रथा का विरोध किया और विधवा पुनर्विवाह की हिमायत की। अपनी पहली पत्नी की मृत्यु के बाद उन्होंने एक विधवा से शादी की और ब्रह्म समाज में शामिल हो गए।

निधन

मृत्यु विपिनचंद्र पाल का देहांत 20 मई 1932 को कोलकाता मे हो गया।

विपिनचंद्र पाल एक बहुआयामी व्यक्तित्व थे। वे एक अच्छे नेता, शिक्षक, पत्रकार, वक्ता और लेखक थे।

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