दादाभाई नौरोजी (Dadabhai Naoroji) – Freedom Fighters of India
इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे जाने माने राष्ट्रवादी और ब्रिटिश आर्थिक नीतियों के आलोचक दादाभाई नौरोजी की।
परिचय
भारतीय राजनीति के इस पुरोधा को प्यार से ग्रेट ओल्ड मैन ऍफ इंडिया और अनऑफिशियल एम्बेसडर ऑफ इंडिया भी कहा जाता था। इनका जन्म 04 सितंबर 1925 को तत्कालीन बम्बई में हुआ था।
उनकी लोकप्रियता ही थी कि वे दो बार हाउस ऑफ कॉमन्स के लिए चुने गए। दादाभाई नौरोजी ब्रिटिश संसद के पहले एशियाई सदस्य चुने गए थे। उन्हें भारत में ब्रिटिश शासन के आर्थिक दुष्परिणामों पर अपने विचार स्पष्ट रूप से रखने के लिए जाना जाता है।
ब्रिटिश आर्थिक नीतियों का उजागर
अपने कार्यकाल के दौरान दादा भाई ने भारत की हालत सुधारने को लेकर जबरदस्त प्रयास किए। ब्रिटिश आर्थिक नीतियों के चलते भारत को हो रहे नुकसान पर उन्होंने गंभीर शोध किया था। इसके बाद ये ब्रिटिश शासन के कटु आलोचक हो गए। दादा भाई नौरोजी ने 1893 में यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) में हाउस ऑफ कॉमंस को संबोधित किया था।
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लोकप्रियता
दादा भाई नौरोजी की हस्ती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें 1995 में भारतीय बैंक के लिए गठित शाही आयोग का सदस्य बनाया गया था। उन्होंने 1886, 1893 और 1906 के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सालाना अधिवेशन की अध्यक्षता भी की थी।
उन्हें स्वाधीनता आंदोलन के शुरूआती दौर के महत्वपूर्ण नेताओं में से एक माना जाता था। दादा भाई की ही प्रेरणा से बाल गंगाधर तिलक और गोपाल कृष्ण गोखले स्वाधीनता आंदोलन में शामिल हुए। गांधी जी पर भी उनका असर रहा।
मृत्यु
दादाभाई नौरोजी का स्वर्गवास 30 जुन 1917 को बॉम्बे में हुआ।
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जय हिंद जय भारत…!