एनीबेसेंट (Annie Besant) – Freedom Fighters of India
इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे एक महान समाज सुधारक और भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के सबसे प्रतिष्ठित प्रतिनिधियों में से एक एनीबेसेंट (Annie Besant) के बारे मे।
परिचय
एनीबेसेंट (Annie Besant) का जन्म 01 अक्टूबर 1847 को लंदन में हुआ था। वह तत्कालीन सांसद चार्ल्स ब्रेडलॉक (Charles Bradlaugh) के नेतृत्व में स्वतंत्र विचार और कट्टरपंथी आंदोलनों में शामिल थीं।
एनीबेसेंट (Annie Besant) श्रमिक संघ, राष्ट्रीय शिक्षा, महिलाओं को मतदान का अधिकार और जन्म नियंत्रन जैसे अग्रणी विचारों की पक्षधर थीं।
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थियोसोफिकल सोसायटी
1889 में एनीबेसेंट थियोसोफिकल सोसायटी (Theosophical Society) में शामिल हुई। जो कर्म और पुनर्जन्म की हिंदू विचारों पर आधारित एक धार्मिक आंदोलन था। उन्होंने 1893 में शिकागो में विश्व धर्म संसद में थियोसॉफिकल सोसायटी का प्रतिनिधित्व भी किया।
एनीबेसेंट 1893 में भारत आई और उन्हें यहाँ की मिट्टी से प्यार हो गया। वें महिलाओं की स्वतंत्रता शिक्षा और विशेष रूप से उनके भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के पक्ष में खडी थी। महात्मा गांधी ने एक बार एनीबेसेंट के बारे में कहा था उन्होंने भारतीय लोगों को गहरी नींद से जगाया है।
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होमरूल लीग स्थापना
उन्होंने लोकमान्य तिलक के साथ 1913 में होमरूल लीग की सह-स्थापना की, जिसका उद्देश्य भारत में लोकतंत्र और साम्राज्य के भीतर प्रभुत्व के लिए अभियान चलाना था।
जून 1917 में ब्रिटिश साम्राज्य ने एनीबेसेंट को जब गिरफ्तार किया तो कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों ने इसका कडा विरोध किया। सितंबर 1917 में जब बिसेंट को रिहा किया गया तो देशभर से लोगों की भीड ने उनका स्वागत किया। बाद में दिसंबर 1917 में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष के रूप में चुना गया।
एनीबेसेंट ने 1916 में दरभंगा के महाराजा रामेश्वर सिंह, बनारस के महाराजा प्रभु नारायण सिंह, मदन मोहन मालवीय और सुंदर लाल की सहायता से बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की। बाद में उन्होंने 1922 में हैदराबाद राष्ट्रीय कॉलिजिएट बोर्ड भारत की स्थापना में भी सहायता की।
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मृत्यु
20 सितंबर 1933 को चेन्नई में एनीबेसेंट का निधन हो गया।
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