Madam Bhikaji Cama in Hindi – Freedom Fighters of India
मैडम भीकाजी कामा – आरंभिक परिचय
बीकाजी कामा, मैडम कामा के नाम से भी जाना जाता है। भीकाजी कामा जन्म 24 सितंबर 1861 को प्रभावशाली पारसी परिवार में हुआ था।
अदम्य साहस और सत्यनिष्ठा की धनी भीकाजी कामा ने अपना अधिकांश समय समाज कार्य में बिताया। राष्ट्र के प्रति अटूट प्रेम के कारण उन्होंने पारिवारिक जीवन त्याग दिया और अपना जीवन राष्ट्र हित के लिए समर्पित कर दिय।
अक्टूबर 1896 में बॉम्बे प्रेसिडेंसी में भीषण अकाल पडा और उसके कुछ दिन बाद ही प्ले की महामारी फैल गई। इस दौरान भीकाजी कामा ने पीडित लोगों की खूब सेवा की।
22 अगस्त 1907 में मैडम भीकाजी कामा ने जर्मनी के स्वीट काट में दूसरे अंतरराष्ट्रीय सोशलिस्ट सम्मेलन में भारत का प्रथम राष्ट्रीय ध्वज फहराया था।
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मैडम भीकाजी कामा – योगदान
1905 में मैडम कामा पेरिस चली गई और वहाँ पे पेरिस इंडिया सोसायटी की स्थापना में सहभागी बनें । नीदरलैंड और स्विट्जरलैंड में अज्ञातवास के दौरान काम आने आंदोलन के लिए वंदे मातरम नामक क्रांतिकारी साहित्य भी लिखा और प्रकाशित कराया।
उन्होंने मदनलाल ढींगडा को फांसी दिए जाने के विरोध में मदन की तलवार पत्रिका लिखी हूँ।
आज ही के दिन (22 अगस्त) में कामा जर्मनी के स्टटगार्ट में दूसरे अंतरराष्ट्रीय सोशलिस्ट सम्मेलन में शामिल हुई। वहाँ उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप में अकाल के विनाशकारी प्रभाव के जानकारी दी।
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मैडम कामा – ध्वजारोहण
ग्रेट ब्रिटेन से स्वतंत्रता और समानता की अपील के दौरान मैडम कामा ने ध्वज फहराया और उसे भारत की स्वतंत्रता का ध्वज कहा गया। इस प्रकार वे भारतीय क्रांतिकारियों की माँ के रूप में प्रसिद्ध नहीं हूँ।
कामा का ध्वज कलकत्ता ध्वज का संशोधित रूप था। उसका डिजाइन कामा और विनायक दामोदर सावरकर ने बनाया था। वह उन सभी झंडों में शामिल था जिनके आधार पर मौजूदा राष्ट्रीय ध्वज बनाया गया।
मैडम भीकाजी कामा उन महान विभूतियों में अग्रणी थी जिन्होंने विदेश में रहकर भारत की स्वतंत्रता की मशाल जलाई।
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मृत्यु
मैडम कामा का स्वर्गवास बॉम्बे में 13 अगस्त 1936 को हो गया।
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जय हिंद जय भारत…!