P. Jeevanantha – Freedom Fighters of India
पीo जीवनंथम का जन्म तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले में 21 अगस्त 1907 को हुआ था। वे न केवल एक महान स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक राजनीतिक नेता थे बल्कि एक सांस्कृतिक विचारक, श्रेष्ठ वक्ता, पत्रकार और आलोचक भी थे।
इन सब के अलावा वे वंचितों के अधिकारों के लिए लडने वाले प्रमुख नेता थे। सार्वजनिक जीवन में उनकी छवि साफ सुथरी रही और उनका जीवन बहुत गरीबी में बीता ।
Sahodaran Ayyappan – A social reformer of Kerala
जीवनंथम का राजनीतिक जीवन
जीवनंथम ने अपना राजनीतिक जीवन गांधीवादी विचारधारा से प्रेरित होकर शुरू किया था। 1924 में उन्होंने वाई काम सत्याग्रह में भाग लिया। उन्होंने सुचिंद्रम मंदिर में अछूत माने जाने वाले लोगों के प्रवेश करने की मांग करने वाले प्रदर्शन में भाग लिया।
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जीवनंथम एवं गांधीजी
सर्वंव्याल आश्रम में अपने प्रवास के दौरान उन्होंने गांधीजी को पत्र लिखकर उनके कुछ सिद्धांतों पर असहमति व्यक्त कि गांधीजी जब मद्रास आए तो जीवनंथम का पत्र गांधीजी की जेब में था और वे जीवनंथम से मिलना चाहते थे। सर्वंव्याल आश्रम में जब गांधीजी पहुंचे तो 25 वर्षीय जीवनंथम से मिलकर चकित रह गए।
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जीवनंथम – राष्ट्रीय आंदोलन
जीवनंथम की राष्ट्रभक्ति ने उन्हें राष्ट्रीय आंदोलन की ओर मोड दिया और जाति आधारित पक्षपात के खिलाफ उन्होंने आत्मसम्मान आंदोलन का नेतृत्व किया। जीवनाथम ने तमिलनाडु में श्रम आंदोलन को मजबूत करने के लिए अग्रणी भूमिका निभाई।
तमिल कवि सुब्रमन्यम भारती के कार्यों का उनके जीवन पर बहुत प्रभाव पडा। वे तमिल साहित्य के अच्छे ज्ञाता और श्रेष्ठ वक्ता थे। जीवनंथम ने भगत सिंह के निबंधों का तमिल भाषा में अनुवाद किया।
देश आजाद होने के बाद पहले आम चुनाव में जीवनंथम विधायक बने और तमिलनाडु के विकास के लिए काम किया।
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जय हिंद जय भारत…!